हुस्न को चांद जवानी को कमल कहते हैं
देखने वाले तुझे शोक गजल कहते हैं
उफ ये संगेमरमर सा तराशा हुआ शफाक बदन
देखने वाले तुझे ताजमहल कहते हैं !
हुस्न को चांद जवानी को कमल कहते हैं
देखने वाले तुझे शोक गजल कहते हैं
उफ ये संगेमरमर सा तराशा हुआ शफाक बदन
देखने वाले तुझे ताजमहल कहते हैं !