अपनी तनहाई तेरे नाम पे आबाद करे
कौन होगा जो तुझे मेरी तरह याद करे
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अभी मसरूफ हूँ काफी, कभी फुरसत में सोचूंगा
के तुझको याद करने में, मैं क्या क्या भूल जाता हूँ
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उदास ज़िन्दगी, उदास वक्त, उदास मौसम…
कितनी चीज़ों पे इल्ज़ाम लग जाता है तेरे बात न करने से
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उसका दावा भी उसकी तरह झूठा निकला
वो कहता था, बिछडूगा तो मर जाऊँगा
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एक ये ख्वाहिश के कोई ज़ख्म न देखे दिल का
एक ये हसरत कि कोई देखने वाला होता
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