Bashir Badra Famous Ghazal Shayari – Kis Zamane Ke Aadmi Tum Ho
ऐसा लगता है ज़िन्दगी तुम हो
अजनबी जैसे अजनबी तुम हो
अब कोई आरज़ू नहीं बाकी
जुस्तजू मेरी आख़िरी तुम हो
मैं ज़मीं पर घना अँधेरा हूँ
आसमानों की चांदनी तुम हो
दोस्तों से वफ़ा की उम्मीदें
किस ज़माने के आदमी तुम हो